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- ' चंद्र प्रभाकर कोकड़ा ' -

Chander Prabhakar चन्द्र प्रभाकर कोकड़ा का जन्म 25 जुलाई 1942 को चंदोसी में हुआ ! कारोबार पीलीभीत (यूपी ) में होने के कारण 8-9 साल की उम्र तक वहाँ रहना हुआ ! उसके बाद पिता वापिस अपनी जन्म भूमि भिवानी (हरियाणा ) में आकर चिकित्सा कार्य करने लगे ! सन् 1961 में प्रभाकर परीक्षा उत्तीर्ण की ! पिता से चिकित्सा कार्य में जुड़े होने के कारण सन् 1964 में आयुर्वेदाचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण की ! सन् 1956 में 'बाल कल्याण समिति ' की स्थापना की ! देश प्रेम की भावना से प्रेरित कार्यो की भारत के प्रथम राष्ट्पति डा० राजेंद्र प्रसाद ने भी प्रसंशा की ! स्पष्ट वक्ता एवं निर्भीक लेखन के कारण सन् 1957 में हिंदी आंदोलन में डेढ़ माह हिसार कारागार में भी रहे ! लेख , व्यंग लेख , कहानी , कविताये सब समय समय पर अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं सन् 1963 में कई वर्षो तक साप्ताहिक 'पूर्वी पंजाब ' के संपादक रहते हुए सन् 1964 में ' भर्ष्टाचार निरोधक समिति ' की स्थापना की! उस समय के पंजाब के मुख्यमंत्री कामरेड रामकिशन द्वारा प्रसंशा भी की गयी !

आयुर्वेदिक औषदियों के प्रचार प्रसार के लिए 'श्री कलानाथ आयुर्वेद भवन ' की स्थापना की ! निरन्तर धार्मिक रुझान बढ़ने से, भिन्न भिन्न सन्तों के दृष्टिकोण को समझने की जिज्ञासा के कारण उनके साहित्य का अध्यन किया ! उपनिषद् ,बुद्ध , महावीर , नानक , लाओत्से , साडिल्य , शंकरचार्य , ब्लावटस्की , कबीर , मीरा , दादू , रैदास , दरिया आदि अनेक संतों की बहती नदी में भाव विभोर हो स्नान किया और यह अनुभव किया सभी नदियां सागर की ओर भागी जा रही हैं ! हम सब लहर हैं , लहर अंतस में खोज करेगी तब पायेगी सब सागर है ! यही समाधि फलित होती है ! भागती हुई लहरों को देखेगी यही संसार है ! वर्तमान में 'कोकड़ा औषधालय ' भिवानी में चिकित्सा एवं लेखन कार्य में कार्यरत है !